राजस्थान – अगर अब पुलिस थाने में कोई ऐसा मामला सामने आता है जिसमें दो लाख रुपए या उससे अधिक का नकद लेन-देन शामिल है, तो संबंधित थानाधिकारी को इसकी सूचना आयकर विभाग को देना अनिवार्य होगा।
राजस्थान गृह विभाग ने इस संबंध में नया परिपत्र
जारी कर पुलिस महानिदेशक (DGP) और सभी पुलिस अधिकारियों को
स्पष्ट निर्देश दिए हैं। गृह सचिव (विधि) रवि शर्मा द्वारा
जारी किए गए इस आदेश का उद्देश्य नकद लेन-देन में पारदर्शिता लाना और कर चोरी की
संभावनाओं पर नियंत्रण करना है।
किन मामलों में देनी होगी सूचना?
गृह विभाग द्वारा जारी निर्देशों के अनुसार:
- यदि अचल संपत्ति की खरीद-फरोख्त, किसी प्रकार का लिखित
करार, या कोई अन्य मामला जिसमें ₹2 लाख या उससे अधिक का नकद लेन-देन शामिल हो,
सामने आता है।
- ऐसे मामलों में थानाधिकारी को संबंधित नोडल आयकर
अधिकारी को तत्काल सूचना देनी होगी।
सिविल विवादों में पुलिस नहीं करेगी आपराधिक
कार्रवाई
परिपत्र में यह भी उल्लेख किया गया है कि यदि कोई सिविल
विवाद (जैसे ठेका, करार आदि) पुलिस के पास पहुंचता है, तो पुलिस सीधा
आपराधिक प्रकरण दर्ज नहीं करेगी।
- ऐसे मामलों में पहले 7 दिन के भीतर
प्रारंभिक जांच की जाएगी।
- किसी भी कानूनी कार्रवाई से पहले पुलिस अधीक्षक (SP) या पुलिस
उपायुक्त (DCP) से स्वीकृति लेना अनिवार्य होगा।
उच्च न्यायालय की टिप्पणी
राजस्थान हाईकोर्ट ने 21 मई 2025
को एक मामले की सुनवाई के दौरान चिंता जताई थी कि सिविल प्रकरणों
में भी पुलिस द्वारा कार्रवाई की जा रही है, जो उचित
नहीं है। कोर्ट ने कहा कि सिविल विवादों में फौजदारी का रंग नहीं चढ़ाया जाना
चाहिए।
इससे पहले सुप्रीम कोर्ट भी निर्देश दे चुका है कि
यदि ₹2 लाख या उससे अधिक नकद लेन-देन का मामला सामने आए, तो
आयकर विभाग को तत्काल जानकारी दी जाए, और आयकर
अधिकारी उसे गंभीरता से लें।
यह आदेश न केवल पुलिस प्रशासन के लिए एक स्पष्ट
मार्गदर्शन प्रदान करता है, बल्कि सामान्य नागरिकों को भी सजग रहने
की आवश्यकता है। दो लाख से अधिक नकद लेन-देन करने पर यदि मामला थाने तक
पहुंचता है, तो वह अब आयकर विभाग की निगरानी में भी आ
सकता है।
राज्य सरकार की यह पहल कर चोरी रोकने और सिविल व आपराधिक
मामलों के बीच अंतर स्पष्ट करने की दिशा में एक महत्वपूर्ण कदम मानी जा रही
है।