झुंझुनू/टोंक, राजस्थान |
बारिश को अक्सर "राहत की बूंदें" कहा जाता है, लेकिन जब यह बूंदें व्यवस्था की पोल खोलने लगे तो यही राहत आफत बन जाती है। झुंझुनू जिले के सुल्ताना कस्बे और टोंक जिले के पीपलू कस्बे में हाल ही में हुई बारिश ने स्थानीय प्रशासन की नाकामी को बुरी तरह उजागर कर दिया है।
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बारिश ने खोली प्रशासन की पोल, सुल्ताना और पीपलू में जनजीवन बेहाल |
सुल्ताना कस्बे का मुख्य मार्ग जो जिला मुख्यालय और राजधानी जयपुर को जोड़ता है, पानी में डूबा हुआ है। रास्ते में 2 से 3 फीट तक पानी जमा है। बारिश के बाद से हालात ऐसे हैं कि कई घरों और दुकानों में पानी भर चुका है। लोग बाल्टी-बाल्टी पानी बाहर निकालने को मजबूर हैं। दुकानों में रखा सामान खराब हो गया है और लोगों को भारी आर्थिक नुकसान उठाना पड़ा है।
स्थानीय नगर पालिका के तमाम दावे पहली ही बरसात में धराशायी हो गए। नालों की सफाई केवल कागजों पर हुई, और नतीजा यह कि हर साल की तरह इस साल भी जल निकासी की पुख्ता व्यवस्था न होने की वजह से आम जनता को मुसीबत का सामना करना पड़ रहा है।
“मकान में पानी, दुकान में पानी, पानी-पानी जिंदगानी” — यह लाइन सुल्ताना की वर्तमान स्थिति को पूरी तरह बयां करती है।
पानी भरने से बीमारियों का खतरा भी बढ़ गया है। स्थानीय निवासियों ने बताया कि झाड़ियों और गंदे पानी में सांप, बिच्छू निकलकर घरों में घुस रहे हैं। बच्चे बीमार हो रहे हैं और लोग दहशत में हैं।
टोंक जिले के पीपलू कस्बे में भी बारिश ने प्रशासन की पोल खोल दी है। बस स्टैंड से लेकर अस्पताल रोड तक लंबे समय से पानी और गंदगी भरी पड़ी है। कुछ दिन पहले जिस रास्ते से कॉलोनी का पानी निकलता था, वहां मिट्टी डालकर रास्ता बंद कर दिया गया, जिससे अब सारा पानी कॉलोनी में भरने लगा है। नतीजा—बच्चे स्कूल नहीं जा पा रहे, कोई भी काम समय पर नहीं हो पा रहा है।
प्रशासन हर साल नालों की सफाई और जल निकासी के दावे करता है, लेकिन पहली ही बारिश में उन दावों की सच्चाई सामने आ जाती है।
बारिश अब सिर्फ मौसम का एक हिस्सा नहीं, बल्कि सिस्टम की नाकामी का आइना बन चुकी है।