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Saturday, July 12, 2025

नींद में कुचला गया सपना: दुबई से लकड़ी के ताबूत में लौटा झुंझुनूं का सुमेर सिंह मीणा

रामपुरा, झुंझुनूं | 12 जुलाई 2025

राजस्थान के झुंझुनूं जिले के रामपुरा गांव में शुक्रवार को एक ताबूत ने पूरे गांव को गमगीन कर दिया। 40 वर्षीय सुमेर सिंह मीणा की लाश जब दुबई से गांव पहुंची, तो रोते-बिलखते परिवार के आंसू थमने का नाम नहीं ले रहे थे। बेटी रेणु ताबूत से लिपटकर फूट-फूटकर रोई, "पापा को नींद में मार डाला। किसने मारा पापा को?"

दुबई से लकड़ी के ताबूत में लौटा झुंझुनूं का सुमेर सिंह मीणा
दुबई से लकड़ी के ताबूत में लौटा झुंझुनूं का सुमेर सिंह मीणा

कर्ज लेकर विदेश गया था सुमेर, नौकरी के लिए छोड़ा था वतन

अगस्त 2024 में सुमेर सिंह बेहतर जीवन की उम्मीद लिए दुबई गया था। जयपुर के एजेंट कमलेश सोनी को 1 लाख रुपये देकर वह 'अग्निश' नामक कंस्ट्रक्शन कंपनी में काम करने पहुंचा। पैसे उधार लिए थे – खरिया गांव के गिरधारी मूरोत से। शुरुआत में सब ठीक चला, लेकिन फरवरी 2025 के बाद हालात बिगड़ने लगे।

मार्च में सुमेर ने आखिरी बार परिवार से बात की और कहा, “कंपनी पैसा नहीं दे रही, नौकरी छोड़ रहा हूं।” इसके बाद वह लापता हो गया।

एजेंट बोला मिसिंग है, 3 महीने बाद मिला शव

एजेंट और कंपनी ने सुमेर को "मिसिंग" घोषित कर दिया। परिवार लगातार संपर्क करता रहा, लेकिन कोई जानकारी नहीं मिली। फिर 2 जुलाई 2025 को दुबई पुलिस से खबर आई — सुमेर का शव एक कंस्ट्रक्शन साइट पर मिला है। कहा गया कि वह ट्रक के नीचे सो रहा था और ड्राइवर ने अनजाने में कुचल दिया।

परिवार बेहाल, गांव में पसरा मातम

ताबूत पहुंचते ही गांव में कोहराम मच गया। पत्नी ग्यारसी देवी गश खाकर गिर पड़ीं, मां धापा देवी बेहोश हो गईं। बेटी रेणु सदमे में है। गांववालों ने खाना-पीना छोड़ दिया। लोग तंबू लगाकर शोक में बैठे हैं।

‘अब खेत में काम करने वाला कोई नहीं’

सरपंच धर्मपाल जांगिड़ ने सरकार से मांग की है कि एजेंट पर कार्रवाई हो और परिवार को आर्थिक मदद दी जाए। बेटे प्रदीप का कहना है, “पापा ने हमें पढ़ाने के लिए मजदूरी की, अब हमारे पास कुछ नहीं बचा।” रेणु ने इस साल 12वीं पास की है, लेकिन आगे पढ़ाई जारी रहेगी या नहीं, यह तय नहीं।

‘यह हादसा नहीं हो सकता’ - RANA अध्यक्ष प्रेम भंडारी

अमेरिका में रह रहे RANA अध्यक्ष प्रेम भंडारी ने दुबई में भारतीय दूतावास, विदेश मंत्रालय और झुंझुनूं प्रशासन की मदद से शव को भारत लाने में भूमिका निभाई। उन्होंने कहा, "यह महज हादसा नहीं हो सकता। मामले की निष्पक्ष जांच होनी चाहिए। एजेंट ने जो 1 लाख रुपए लिए थे, वह परिवार को वापस दिलाए जाएं।"

अब कई सवाल

  • कंपनी ने उसे मिसिंग क्यों बताया, जब वह ट्रक से कुचला गया था?

  • नींद में ट्रक के नीचे सो जाना, क्या यह केवल एक दुर्घटना थी?

  • एजेंट ने बिना ठोस जानकारी के विदेश क्यों भेजा?

सरकार से अपील

यह केवल एक व्यक्ति की मृत्यु नहीं, बल्कि एक परिवार का उजड़ जाना है। सरकार से अपील है कि सुमेर सिंह मीणा के परिवार को मुआवजा दिया जाए, एजेंट पर सख्त कार्रवाई हो, और विदेश जाने की प्रक्रिया को पारदर्शी और सुरक्षित बनाया जाए।


लेखक: JITENDRA BARALA
शीर्षक: विदेशी सपनों की मौत: सुमेर की कहानी
श्रेणी: प्रवासी मजदूर, समाज, झुंझुनू समाचार